अपरिचित हूँ मैं ..........
ना जाने कैसे कह देते हैं
हाँ , जानते हैं हम
खुद को या फ़लाने को
मगर किसे जानते हैं
ये भेद ना जान पाते हैं
कौन है वो ?
शरीर का लबादा ओढ़े
आत्मा या ये शरीर
ये रूप
ये चेहरा -मोहरा
कौन है वो
जिसे हम जानते हैं
जो एक पहचान बनता है
क्या शरीर ?
यदि शरीर पहचान है तो
फिर आत्मा की क्या जरूरत
मगर शरीर निष्क्रिय है तब तक
जब तक ना आत्मा का संचार हो
एक चेतन रूप ना विराजमान हो
तो शरीर तो ना पहचान हुआ
तो क्या हम
आत्मा को जानते हैं
वो होती है पहचान
ये प्रश्न खड़ा हो जाता है
अर्थात शरीर का तो
अस्तित्व ही मिट जाता है
मगर सुना है
आत्मा का तो
ना कोई स्वरुप होता है
आत्मा नित्य है
शाश्वत है
उसका ना कोई रूप है
ना रंग
फिर क्या है वो
एक हवा का झोंका
जो होकर भी नहीं होता
फिर कैसे कह दें
हाँ जानते हैं हम
खुद को या फ़लाने को
क्योंकि ना वो आत्मा है
ना वो शरीर है
फिर क्या है शाश्वत सत्य
और क्या है अनश्वर
दृष्टिदोष तो नहीं
कैसे पृथक करें
और किसे स्थापित करें
द्वन्द खड़ा हो जाता है
शरीर और आत्मा का
भेद ना मिटा पाता है
कोई पहचान ना मिल पाती है
ना शरीर को
ना आत्मा को
दोनों ही आभासी हो जाते हैं
शरीर नश्वर
आत्मा अनश्वर
फिर कैसे पहचान बने
विपरीत ध्रुवों का एकीकरण
संभव ना हो पाता है
फिर कैसे कोई कह सकता है
फलाना राम है या सीता
फलाना मोहन है या गीता
ये नाम की गंगोत्री में उलझा
पहचान ना बन पाता है
ना शरीर है अपना ना आत्मा
दोनों हैं सिर्फ आभासी विभूतियाँ
मगर सत्य तो एक ही
कायम रहता है
सिर्फ पहचान देने को
एक नाम भर बन जाने को
आत्मा ने शरीर का
आवरण ओढा होता है
पर वास्तविकता तो
हमेशा यही रहती है
कोई ना किसी को जान पाता है
खुद को भी ना पहचान पाता है
फिर दूसरे को हम जानते हैं
स्वयं को पहचानते हैं
ये प्रश्न ही निरर्थक हो जाता है
ये तो मात्र दृष्टिभ्रम लगता है
जब तक ना स्वयं का बोध होता है
तो बताओ ,
कैसे परिचय दूं अपना
कौन हूँ
क्या हूँ
ज्ञात नहीं
अज्ञात को जाने की
प्रक्रिया में हूँ तत्पर
परिचय की ड्योढ़ी पर
दरवाज़ा खटखटाते हुए
अपरिचित हूँ मैं ..........
नाम: वन्दना गुप्ता
फोन : 9868077896
मेल: rosered8flower@gmail.com
ब्लोगिंग की शुरुआत जून 2007
प्रकाशित साझा काव्य संग्रह : 1)“टूटते सितारों की उडान “
2)“स्त्री होकर सवाल करती है “
3)"ह्रदय तारों का स्पंदन"
4) शब्दों के अरण्य मे
5) प्रतिभाओं की कमी नहीं
6) कस्तूरी
प्रकाशित साझा पुस्तकें : 1) हिन्दी ब्लोगिंग : अभिव्यक्ति की नई क्रांति
2)हिन्दीन ब्लॉ्गिंग : स्वपरुप, व्याहप्ति और संभावनाएं
पत्रिकाओं मे प्रकाशित रचनायें : ब्लोग इन मीडिया, गजरौला टाइम्स ,उदंती छत्तीसगढ़ रायपुर ,
स्वाभिमान टाइम्स, हमारा मेट्रो, सप्तरंगी प्रेम. हिंदी साहित्य शिल्पी,
वटवृक्ष मधेपुरा टाइम्स, नव्या ,नयी गज़ल ,OBO पत्रिका, प्रेम. हिंदी
साहित्य शिल्पी , वटवृक्ष ,मधेपुरा टाइम्स, नव्या ,लोकसत्य ,नयी गज़ल, ओबीओ पत्रिका, गर्भनाल और कादंबिनी, विभिन्न इ-मैगज़ीन आदि।
निम्न तीन ब्लोग हैं
1) ज़िन्दगी ………एक खामोश सफ़र (http://vandana-zindagi.blogspot.com)
2) ज़ख्म …………जो फ़ूलों ने दिये (http://redrose-vandana.blogspot.com)
3) एक प्रयास (http://ekprayas-vandana.blogspot.com)
ye to blog ki duniya ki Orient PSPO hain... inko kaun nahi janta...:)
जवाब देंहटाएंagar koi nahi janta to aise hi kahenge..........
arre ye PSPO nahi janta:))))):D
वन्दना जी ,ब्लॉग जगत हो या फेशबुक ,एक जानी-मानी हस्ती हैं ,लेकिन आज कुछ नया भी जानने को भी मिला ........... !!
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा यूं मिलना !
जवाब देंहटाएंकुछ तो फर्क है, कि नहीं - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
एक परिचित नाम.. परिचय पाकर और परिचित हुए!!
जवाब देंहटाएंविस्तृत रूप मे जानना अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥
अपरिचित सा परिचय ... :):) आपकी कलम से और आपसे परिचय मिला ...
जवाब देंहटाएंरश्मि जी आपका हार्दिक आभार ……… खोज जारी है अपरिचित से परिचित होने तक के सफ़र की …………सभी दोस्तों की हार्दिक शुक्रगुज़ार हूँ जो उन सबका स्नेह मुझे यूँ मिला करता है कि मै धन्य हो जाती हूँ।
जवाब देंहटाएंवन्दना जी का इतना गहन और दार्शनिकता से परिपूर्ण परिचय बहुत अच्छा लगा ! उनका लेखन एवं व्यक्तित्व दोनों ही प्रभावशाली हैं ! उनसे मिल कर बहुत प्रसन्नता हुई !
जवाब देंहटाएंपरिचित से परिचय
जवाब देंहटाएंलेकिन पढ़ते हुए कई जगह लगा, अच्छा ऐसा, ये तो हम जानते ही नहीं थे।
बहुत सुंदर
vandana ko yun parichay par pakar achcha laga. poori tarah se blogging ko samarpit ek bebak kalam ka naam hai ye .
जवाब देंहटाएंआप परिचय की मोहताज कहाँ हैं...सब जानते हैं..
जवाब देंहटाएंहम जानते हैं....फिर से जाना....और जाना...उपलब्धियां देख खुश हुए...
बधाई वंदना जी...
शुभकामनाएं.................
अनु
वंदना जी
जवाब देंहटाएंपरिचय की ड्योढ़ी पर
दरवाज़ा खटखटाते हुए
हाजि़र हूँ मैं शुभकामनाओं के साथ ...
वन्दना जी ब्लॉग जगत की एक जानी-मानी हस्ती हैं उनसे मिल कर बहुत प्रसन्नता हुई
जवाब देंहटाएंआपका उत्कृष्ट और बेबाक लेखन प्रभावित करता है...
जवाब देंहटाएंपरिचय का अंदाज भी उत्कृष्ट...शुभकामनाएँ!
आभार रश्मि दी का!!
वंदनाजी के जी के नाम से तो सभी परिचित है , और अधिक परिचय के लिए आभार !
जवाब देंहटाएं