पापा को चाहिए थी गुड़िया,
माँ ने मांगी अपनी परछाई ,
इसलिए तो दो भइयो के ,
उपरांत मै हूँ आई ...
नटखट -चंचल जिंदगी से भरपूर ,
हँसना -हँसाना यही है बस कबूल,
बचपन बीता मस्ती मे ,
गली मै किया खूब हुड़दंग ,
न चिंता न फिकर ,
भइयो संग किया धमाल,
छोटी बहना को भी किया स्वीकार ,
पढ़ने -लिखने का शौक रहा ,
अपनाया अध्यापिका का जीवन ,
विवाह उपरांत छोड़ा देश ,
पर माटी का मोह नही छोड़ पायी ,
दो प्यारे बच्चों की माँ ,
माँ कम ,सखी हूँ ज़्यादा ।
माँ ,पत्नी ,बेटी ,बहू ,
अनेकों पदवियों का भार,
इनके सब के बीच भी ,
गर्व है मुझे ,
मुझमें है मेरा "मै " जीवित ॥
जन्मतिथि - 25 दिसंबर 1967
स्थान - अलीगढ़
शिक्षा - स्नातकोतर ( हिन्दी ) दिल्ली विश्वविदायलय
भाषा ज्ञान - हिन्दी , अंग्रेज़ी
कार्य- शिक्षिका
शौक - चित्रकारी , कविता लेखन
1994 से 2008 तक - बहरीन ( मिडिल ईस्ट) मे निवास ,
2008 - अब तक - टोरोंटो ( कनाडा)
लिखने का शौक तो स्कूल से ही था । कॉलेज मे भी हल्का - फुल्का लिखा ।
शादी होने के बाद नौकरी , परिवार के बीच बस अपने शौक दब गए । अब बच्चे बड़े हुये तो पिछले दो साल से कलम और कूँची दोनों चलने लगी है ।
http://kasliwalpoonam.
अच्छा लगा पूनम जी को जान कर...
जवाब देंहटाएंपढ़ती तो हमेशा ही हूँ उन्हें.....
कभी उनकी कूची का कमाल भी देखने मिले तो आनंद आये.
अनेकों शुभकामनाएं उन्हें..
आपका आभार रश्मि दी.
सादर
अनु
ज़रूर अगली कविता के साथ अपनी बनाई कुछ पेंटिंग्स पोस्ट करूंगी ॥
हटाएंपरिचय तो बढ़िया है, मगर इनकी रचनाएं कहां पढ़ सकते हैं... कोई लिंक नहीं हैं।
जवाब देंहटाएंपरिचय में सब आता है... देना चाहिए
हटाएंअच्छा लग रहा है नए लोगों से परिचय!!
जवाब देंहटाएंपूनम जी से परिचय करवाने का आभार
जवाब देंहटाएंPunam jee se parichay to hai, par jayda jankar achhha laga..
जवाब देंहटाएंपूनम जी का परिचय और आपका प्रयास दोनो उत्कृष्ट ... आभार
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