बालार्क यानि सूर्योदय (the rising sun)- जन्म, नाम परिचय, उपलब्धियां सूर्य की किरणें ही तो हैं ... धरती, नदी, पहाड़, वन ..... कहाँ नहीं होता सूरज. उसकी किरणें होती हैं रक्षा कवच, जिसके स्पर्श से जीवन सुगबुगाता है .... आइये हम अपना परिचय दें, जिससे लोग हमें जानें और हम उन्हें - एक आरम्भ और ... अपना परिचय मुझे मेल करें तस्वीर के साथ
फ़ॉलोअर
शनिवार, 29 सितंबर 2012
परिचय - महेश्वरी कनेरी
बुधवार, 26 सितंबर 2012
परिचय - वंदना गुप्ता
सोमवार, 17 सितंबर 2012
परिचय-ऋता शेखर मधु
मेरा परिचय
रश्मिप्रभा दी ने कहा- अपना परिचय भेजो
पर क्या लिखूँ...मुझमें कुछ भी खास नहीं
रश्मि दी ने कहा-
‘तुम संवेदनशील हो, यह परिचय खास है’
अब कुछ न कुछ तो लिखना ही था
एक कोशिश अपना परिचय देने की...
कौन हूँ मैं
ब्रह्म मुहुर्त में
कौंधा एक सवाल
कौन हूँ मैं ?
क्या परिचय है मेरा ?
सिर्फ एक नाम
या और भी बहुत-कुछ
वह, जो अतीत में थी
या जो अभी हूँ
या जो भविष्य में होऊँगी
यादों के झरोखों से
झाँककर जो देखा
एक खिलखिलाती चुलबुली
नन्ही सी लड़की
अपने भाई-बहन के साथ
बागों में तितलियों के पीछे भागती
दादा-दादी की लाडली
चाचा-बूआ की प्यारी
मम्मी-पापा की आँखों का तारा
विद्यालय में
शिक्षकों के लिए
एक होनहार विद्यार्थी,
इस तरह से बचपन जीती हुई
कब और क्यूँ
विदाई की बातें होने लगीं
इनका जवाब तलाशती
लाल जोड़े में
ससुराल की देहरी के अन्दर
मेरे किरदार बदल गए
बहू, पत्नी,
दो प्यारे-प्यारे बच्चों की माँ
मेरे अपने पल
कब इनके हो गए
पता ही नहीं चला
मन की इच्छाएँ
कर्तव्यों के ताले में
बन्द हो गए
समय बीता
धीरे-धीरे मेरे पल
मुझे वापस मिलने लगे
फुरसत में देखा
तहायी हुई इच्छाएँ वहीं पड़ी थीं
कुछ लिखने की इच्छा
अपने विचार शेयर करने की इच्छा
फिर देर नहीं किया
माँ सरस्वती की कृपा से
अपनी लेखनी के साथ
मैं, ऋता शेखर ‘मधु’
आपके सामने हूँ
जब कलम उठाया तो
सबसे पहले जो लिखा
‘मेरा उद्गार’
जीवन की आपाधापी में
जीवन के संघर्ष में
रिश्तों के तानोंबानों में
ऐसी उलझी मैं,
फुर्सत न मिली सोचने की
हूँ मैं भी एक ‘मैं’|
कुछ पल मिले बैठने को
लगा कहाँ हूँ मैं
दुनिया की इस भीड़ में
कहीं तो हूँ ‘मैं’
मन में था विचारों का रेला
बहने को बेताब हुआ|
लेखनी आ गई हाथों में
कागज़ से उसका मिलाप हुआ|
उभर आए अक्षर के मोती
पिरोने का संतोष हआ|
पसन्द आए अगर ये माला
समझूँगी जीवन धन्य हुआ|
*---*---*---*---*---*---*---*
इसके बाद कुछ कविताएँ लिखीं| कुछ सार्थक लिख भी पा रही हूँ या नहीं, विश्वास डावाँडोल हो गया| छोटे भाई के समान एक करीबी लेखक एवं पत्रकार मित्र को कविताएँ पढ़ने के लिए भेजा| मेरी कविताओं के लिए जो कुछ भी उन्होंने लिखा वह उत्साहित कर गई मुझे| आप भी पढ़िए---
कविताएँ आपकी
उतर जाती हैं
मन की गहराइयों में
कविताएँ आपकी|
शब्दों में अर्थ है
पंक्तियों में भाव
रस हैं, छंद हैं
लय ही स्वभाव|
अलंकृत हो मचलती हैं
कविताएँ आपकी||
यथार्थ के धरातल की
आवरण बनी कल्पना
जीवन की कड़वाहट में
होता सच है सपना|
सपनों में इतराती हैं
कविताएँ आपकी||
हर्ष बनी कविता
विषाद बनी कविता
रच-बस मन में
स्वभाव बनी कविता|
हंस कर हंसाती हैं
कविताएँ आपकी||
गाती हैं, गुनगुनाती हैं
बिन कहे कह जाती हैं
खुश्बू बन फूलों में
उतर-बस जाती हैं|
कली-कचनार हैं
कविताएँ आपकी||
नदियों में नीर बन
करती हैं कलरव
नाविक का नाव बन
मचाती हैं हलचल|
लहरों पर इठलाती हैं
कविताएँ आपकी||
कविता है ऋता की
ऋता बनी कविता
ओर है, अंत भी
अनन्त है कविता|
आंगन की तुलसी हैं
कविताएँ आपकी||
भाव करे मह-मह
छंद करे कलरव
रस की सरिता में
अलंकार हैं अभिनव|
जीवन श्रृंगार की
कविताएँ आपकी||
ऋता शेखर 'मधु' को ससम्मान-
डॉ लक्ष्मीकांत सजल
शिक्षा प्रतिनिधि
हिन्दी दैनिक ‘आज’
पोती, बेटी, बहन, भतीजी, बहू, पत्नी, माँ, मासी, बूआ, मामी, चाची,सहेली का किरदार निभाने के बाद भविष्य में कुछ नए किरदार निभाने हैं...सासू माँ, नानी, दादीः)
और वानप्रस्थ तक पहुँची तो मोक्ष की ओर टकटकी लगाए एक अशक्त वृद्धा का किरदार!!
सर्टिफिकेट के अनुसार मेरा परिचय---
नाम – रीता प्रसाद उर्फ ऋता शेखर ‘मधु’
जन्म – ३ जुलाई, पटना में
शिक्षा – एम. एस. सी.( वनस्पति शास्त्र), बी. एड.
पटना विश्वविद्यालय से
संप्रति – शिक्षिका
पापा का नाम- स्व० चन्द्रिका प्रसाद, सचिवालय में कार्यरत थे|
सरलता, निश्छलता, निष्कपटता – उनके इन गुणों को अनजाने ही हम भाई-बहनों ने आत्मसात् कर लिया था|
माँ का नाम – श्रीमती रंजना प्रसाद, सरकारी हाई स्कूल में वरीय शिक्षिका थीं|
कर्मठता और सहनशीलता उनसे सीखा|
विधाएँ, जिनमें मैं लिखती हूँ – कविता, लघुकथा, कहानी, आलेख, बाल कविता, छंद
जापानी छंद-हाइकु, ताँका, चोका, माहिया
हिन्दी छंद – चौपाई, दोहा, कुण्डलिया, हरिगीतिका, अनुष्टुप, घनाक्षरी, रोला
ग़ज़ल भी लिखने की कोशिश करती हूँ|
मेरे दो ब्लॉग्स – जून २०११ को मेरे सुपुत्र ने ब्लॉग बनाया| तब से नियमित रूप से रचनाएँ प्रकाशित करने की कोशिश करती हूँ|
१) मधुर गुंजन – http://madhurgunjan.blogspot.
२) हिन्दी हाइगा – http://hindihaiga.blogspot.in/
मेरा शौक - चित्रकारी
प्रिंट प्रकाशन –
भाव-कलश – २९ कवियों का ताँका संग्रह, सम्पादकद्वय - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’जी
एवं डॉ भावना कुँअर जी
खामोश, खामोशी और हम – रश्मिप्रभा जी द्वारा संपादित साझा काव्य-संग्रह
शब्दों के अरण्य में - रश्मिप्रभा जी द्वारा संपादित साझा काव्य-संग्रह
उदंती – मासिक पत्रिका में मेरी कविता(मई)
संचयन – २०११ के १०० लघुकथाकारों में मेरी भी तीन रचनाएँ ,
सम्पादक – डॉ कमल चोपड़ा जी
समीक्षा – दिलबाग विर्क जी के हाइकु-संग्रह ’माला के मोती’ में मेरी समीक्षा
कुछ और भी –
खुद को शांतचित पाती हूँ तब
जब सर पर पल्लू लिए
हाथों में अर्ध्य का जल ले
तुलसी-चौरा की परिक्रमा करती
सबकी भलाई के लिए प्रार्थना करती हूँ|
दूसरी संतुष्टि
‘ऋता मैडम’ बनी
अपने विद्यालय में
बच्चों के साथ
अपना बचपन जीती हूँ|
तीसरी संतुष्टि ब्लॉग पर
अपनी लिखती
सबकी पढ़ती
नई-नई बातें सीखती हूँ|
झूठ से सख़्त नफ़रत करती हूँ|
कुछ ऐसा लिखना चाहती हूँ जो
समाज और देश के हित में हो|
शनिवार, 15 सितंबर 2012
परिचय-पूनम जैन कासलीवाल
गुरुवार, 13 सितंबर 2012
परिचय - संगीता स्वरुप
मेरा परिचय क्या ? एक नगण्य रजकण के समान , विशाल सागर की मात्र एक बूंद । ब्लोगिंग ने एक प्लैटफार्म दिया जहां अपनी बात रख सकूँ । परिस्थिति के अनुसार खुद को ढालने का प्रयास करती हूँ इसी लिए खुद को नदी सदृश्य समझती हूँ ।
मुझे बहने दो
बहना ही स्वाभाव है मेरा
उसे वैसे ही रहने दो
तुम चाहोगे कि
मुझे बाँध लोगे
और अथक प्रयास
से मुझे रोक लोगे
तो ये तुम्हारा
एक निरर्थक प्रयास है
कब बाँध पाई है
कोई नदी ?
तुम कहोगे कि -
मैं मानव पुत्र
"नदी को बाँध चुका हूँ
नहरें निकाल चुका हूँ
बिजली बना चुका हूँ "
पर मेरा प्रश्न है -
फिर उसके बाद ?
फिर से बही है नदी
अपने उसी रूप में
अपने गंतव्य की ओर
जाते हुए
इठलाते , बल खाते हुए
तुम रोक नही पाए उसे ।
इसीलिए कहती हूँ कि
जैसा जिसका स्वाभाव है
उसे वैसा ही रहने दो
मुझे भी बस
दरिया जैसा ही बहने दो ।
जन्म .... ७ मई १९५३
जन्म स्थान .. रुड़की ( उत्तर प्रदेश )
शिक्षा ... स्नातकोत्तर ( अर्थशास्त्र )
व्यवसाय ... गृहणी ( पूर्व में केन्द्रीय विद्यालय में शिक्षिका रह चुकी हूँ )
शौक . हिंदी साहित्य पढ़ने का , कुछ टूटा फूटा अभिव्यक्त भी कर लेती हूँ
निवास स्थान ... दिल्ली
ब्लोग्स ----------- http://
htt
बुधवार, 12 सितंबर 2012
परिचय - सलिल वर्मा
सोमवार, 10 सितंबर 2012
परिचय - डॉ कविता वाचक्नवी
रविवार, 9 सितंबर 2012
परिचय - साधना वैद
मेरे ब्लॉग की लिंक है ------
E-mail ID :
शनिवार, 8 सितंबर 2012
परिचय - रश्मि प्रभा
संपादन:अनमोल संचयन (2010), अनुगूँज (2011), परिक्रमा (2011), एक साँस मेरी (2012), खामोश, खामोशी और हम (2012), बालार्क (2013)एक थी तरु (2014)
वटवृक्ष (साहित्यिक त्रैमासिक एवं दैनिक वेब पत्रिका)-2011 से 2012