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शनिवार, 27 अक्तूबर 2012

परिचय ---शशि पाधा





पर्वत पुत्री जम्मू नगरी
बनी थी मेरी जन्म स्थली
नदियां-झरने सखि सहेली
माँ बाबा की गोद मिली 

घर में पूजा आरती वंदन
ठाकुर द्वारे खुशबू चन्दन
पुस्तक ही थी खेल खिलोने 
माँ सरस्वती का अभिनन्दन

गीत संगीत की गुंजन रहती
काव्य की गँगा हर पल बहती
रचना का संस्कार वहीं से
छंदों में मैं सब कुछ कहती

वीर सेनानी के संग ब्याही
शौर्य को आँखों से  देखा था
बलिदानों की अमर कहानी
साहस की असीमित रेखा

प्रकृति ने संग कभी न छोड़ा
मन भी उसके संग ही दौड़ा
राग विराग, हर्ष विषाद
सबको ही मन के संग जोड़ा

लिखा है कुछ, कुछ लिखना बाकी
कागज पे रँग भरना बाकी
मन के भावों अनुभावों को
शब्दरूप अब करना बाकी |
  
मन की भाषा लिख न पाई
शब्दों ने इक राह सुझाई
 अंतर्मन में झाँक के देखा
कविता कितने रूप में आई


जम्मू  में जन्मी शशि पाधा का बचपन साहित्य एवं संगीत के मिले जुले वातावरण में व्यतीत हुआ | उनका  घर   माँ के भक्ति गीतों, पिता के संस्कृत श्लोक तथा भाई के लोक गीतों के पावन एवं मधुर सुरों से सदैव  गुंजित रहता | पढ़ने के लिए हिंदी के प्रसिद्द साहित्यकारों की पुस्तकें तथा पत्र- पत्रिकाएँ सहज उपलब्ध थीं | शायद यही कारण था कि शशि जी बाल्यकाल से ही बालगीत/ लघुकथाएँ रचने लगीं | 
इन्होंने जम्मू - कश्मीर विश्वविद्यालय से एम.ए हिन्दी ,एम.ए संस्कॄत तथा
बी . एड की शिक्षा ग्रहण की । वर्ष १९६७ में यह सितार वादन प्रतियोगिता में राज्य के प्रथम पुरुस्कार से सम्मानित हुईं । वर्ष १९६८ में इन्हें जम्मू विश्वविद्यालय से "ऑल राउंड बेस्ट वीमेन ग्रेजुयेट " के पुरुस्कार से सम्मनित किया गया ।

इन्होंने आकाश्वाणी जम्मू के नाटकपरिचर्चावाद विवाद काव्य पाठ आदि
विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया तथा लगभग १६ वर्ष तक भारत में हिन्दी
तथा संस्कृत भाषा का अध्यापन कार्य किया । सैनिक की पत्नी होने के नाते
इन्होंने सैनिकों के शौर्य  एवं बलिदान से अभिभूत हो  अनेक रचनाएं  लिखीं । अपने कालेज के दिनों में शशि ने वाद विवाद प्रतियोगितायों में तथा अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया | वे कालेज की साहित्यिक पत्रिका द्विगर्तकी संपादिका भी रहीं | भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने  इनकी सैनिकों के विषय में लिखी रचनायों को पढ़ने के बाद उनको सराहना पूर्ण पत्र  लिखा जिसे यह अपने जीवन की उपलब्धि मानती हैं | अमेरिका में इन्होने कई काव्य गोष्ठियों में कविता पाठ किया |

इनके लेखकहानियां एवं काव्य रचनायें " पंजाब केसरी "   दैनिक जागरण  एवं देश विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकायों में छ्पती रहीं। इनके गीतों को अनूप जलोटा, शाम साजन , प्रकाश शर्मा तथा अन्य गायकों ने स्वर बद्ध करके गाया ।

वर्ष २००२ में यह यू.एस आईं । यहां नार्थ केरोलिना के चैपल हिल विश्व्वविद्यालय में हिन्दी भाषा का अध्यापन कार्य किया ।  शशि जी की रचनाएं विभिन्न  पत्रिकायों में प्रकाशित हुई हैं जिनमें से प्रमुख हैं हिंदी चेतनाहिंदी जगतअनुभूति  अभिव्यक्ति , साहित्यकुंज , गर्भनाल , साहित्यशिल्पी, सृजनगाथा ,कविताकोश, आखरकलश तथा   पाखी |
शशि जी के तीन कविता संग्रह पहली किरण मानस मंथन तथा अनंत की ओर  प्राकाशित हो चुके हैं | कविता के साथ साथ वे  आलेख ,संस्मरण तथा लघुकथाएं भी लिखतीं हैं |

संप्रति वे  अपने परिवार के साथ अमेरिका के  मेरीलैंड राज्य में रहतीं हुईं साहित्य सेवा में संलग्न हैं |

12 टिप्‍पणियां:

  1. परिचय श्रृंखला अच्छी है। नए लोगों के बारे में जानने का मौका मिल रहा है। साहित्य, कविता के क्षेत्र में हम कुछ गिने चुने नामों और लोगों तक सिमटे हुए हैं। कई बार तो लगता है कि कहीं हिंदी साहित्य के संसार में प्रतिभाओं का अकाल तो नहीं पड़ गया है? मगर आपकी इस नई श्रृंखला को पढ़ने के बाद तमाम आशंकाएं गलत साबित हो चुकी हैं। आपको साधुवाद कि इन तमाम नगीनों से आपने रूबरू करवाया।

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  2. namaskaar shashi ji

    aapko yahan dekhkar atyant prasannata hui , aapko hardik shubhkamnaye -- shashi

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  3. हिन्दी हाइकु और त्रिवेणी पर शशि जी की रचनाएँ पढ़ती हूँ...परिचय पढ़कर अच्छा लगा...आभार!!

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  4. शशी जी का परिचय जान कर बहुत अच्छा लगा...आभार

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  5. एक प्रतिभावान कलम से परिचय का शुक्रिया...

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  6. मन की भाषा लिख न पाई
    शब्दों ने इक राह सुझाई
    अंतर्मन में झाँक के देखा
    कविता कितने रूप में आई
    बहुत सही ... परिचय की श्रृंखला में आपके बारे में विस्‍तृत जानना अच्‍छा लगा

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  7. शशि पाधा जी का बहुत बढ़िया परिचय ...
    प्रस्तुति हेतु आभार!

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