परिचय
बालार्क यानि सूर्योदय (the rising sun)- जन्म, नाम परिचय, उपलब्धियां सूर्य की किरणें ही तो हैं ... धरती, नदी, पहाड़, वन ..... कहाँ नहीं होता सूरज. उसकी किरणें होती हैं रक्षा कवच, जिसके स्पर्श से जीवन सुगबुगाता है .... आइये हम अपना परिचय दें, जिससे लोग हमें जानें और हम उन्हें - एक आरम्भ और ... अपना परिचय मुझे मेल करें तस्वीर के साथ
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शनिवार, 27 अक्तूबर 2012
परिचय ---शशि पाधा
बुधवार, 10 अक्तूबर 2012
परिचय - अरुण चन्द्र रॉय
- जन्म तिथि: ३०.०९. १९७४
- जन्म स्थान : ग्राम रामपुर, जिला : मधुबनी , बिहार
- मधुबनी जिले के एक छोटे से गाँव रामपुर में जन्म हुआ । प्रारंभिक शिक्षा गाँव के प्राथमिक विद्यालय में हुई । बाद में धनबाद (अब झारखण्ड में) में रहना हुआ । डी0 ए0 वी0 स्कूल से १०+२ ।
- धनबाद के पी0 के0 राय स्मृति कालेज से ग्रैजुएशन
- विनोबा भावे विश्विद्यालय हज़ारीबाग से अँग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर स्वर्ण मेडल लेकर पास किया ।
- ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग से एम0 बी0 ए0 (फाइनांस) स्वर्ण मेडल के साथ उत्तीर्ण किया ।
- दिल्ली के भारती विद्याभवन से जनसंचार एवं पत्रकारिता में पोस्ट ग्रैज़ुएट डिप्लोमा पास किया । कालेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया .
- पोंडिचेरी विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एम ए .
- स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं का नियमित प्रकाशन एवं स्थानीय कवि सम्मेलनों में भाग लेते रहे ।
- कई महत्त्वपूर्ण लघु पत्रिकों जैसे हंस, कादम्बिनी, कतार, स्वाति, और समाचार पत्र जैसे आवाज़, जनमत, प्रभात खबर, दैनिक प्रभात, दैनिक जागरण आदि में कविता, आलेख का प्रकाशन.
- रेडियो के लिए विभिन्न प्रायोजित कार्यक्रमों जैसे पोषण और स्वास्थय, आँखे हैं अनमोल के सौ से अधिक एपिसोडों का लेखन
- भीष्म साहिनी का नाटक "कविरा खड़ा बाज़ार में " का रेडियो रूपांतरण.
- लगभग बीस विज्ञापन फिल्मो का स्क्रिप्ट लेखन और निर्देशन.
- सैकड़ो प्रिंट विज्ञापन का लेखन और मुद्रण
- देश के सभी बड़े ब्रांडों जैसे टी वी एस, एयरटेल, आई सी आई सी आई, पल्स पोलियो अभियान, एस बी आई, बी एस एन एल, एम टी एन एल, गेल इण्डिया, ड़ी एल ऍफ़, के लिए विज्ञापन लेखन
- बी एस एन एल का brand logo का निर्माण, एम टी एन एल के कई टेलीफोन उत्पादों का ब्रांड नामाकरण जैसे एम टी एन एल डालफिन, एम टी एन एल ट्रंप
- दिल्ली एडवरटाईजिंग कल्ब से बेस्ट कापी राइटर का तीन बार पुरस्कार - २०००, २००१ और २००३
- बाबा बटेसरनाथ उपन्यास को आधार बना कर लिखी एक कविता को जब स्वयं बाबा नागार्जुन ने पढ़ा तो उन्होंने कुछ इस तरह टिप्पणी की "अरुण तुम्हारी यह कविता मुझे उद्वेलित कर रही है. कभी सुविधानुसार तुम मेरे साथ एक सप्ताह रहो।"
- पुस्तकें प्रकाशित : बच्चो के लिए अंग्रेजी कविता की पुस्तक 'रन फन एन्जॉय' , प्रबंधन पर एक पुस्तक "मैनेजमेंट एंड लीडरशिप थाट्स", रियल एस्टेट पर शोधात्मक पुस्तक - "रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट सिनारियो इन इण्डिया"
- प्रकाशनाधीन पुस्तकें : कविता संग्रह "प्रश्न काल", समसामयिक विषय पर पुस्तक "विश्व के बड़े नाभकीय हादसे", "भारत में भूख", "प्लास्टिक की रंगीन दुनिया और पर्यावरण" , हिंदी कहानी संग्रह "नो मैन्स लैंड"
- भारत सरकार में वरिष्ठ अनुवादक ।
रविवार, 7 अक्तूबर 2012
परिचय - अनुलता राज नायर
मैं हूँ अनु..अनुलता राज नायर.44 वर्षीय गृहणी और दो बेटों की माँ हूँ.
फिर कुछ यूँ हुआ कि ज़िन्दगी ज़रा ठहरी और वक्त मिला भावनाओं को शब्दों में अभिव्यक्त करने का.. !!
कभी सुकून मिला तो दिल गुनगुनाया..या कभी दर्द हुआ तो मन कसमसाया...और जो दिल में आया उसको ढाल दिया शब्दों में....अनजाने ही बन गयी कविता..
अब कुछ सालों से लेखन कर रही हूँ .डेढ़ साल पहले जबसे ब्लॉग लिखने लगी तब से पाठकों और माननीय रचनाकारों के प्रोत्साहन और माता पिता के आशीर्वाद से नियमित लेखन जारी है.अब तक तकरीबन १५० से ज्यादा कवितायें और दो कहानियाँ लिख चुकी हूँ.
सबसे पहले १९९५ में मनोरमा में एक संस्मरण छापा था.
दैनिक भास्कर की मधुरिमा में भी कविता प्रकाशित.
छत्तीसगढ़ से प्रकाशित समाचार पत्र "भास्कर भूमि " में नियमित रचनाएँ प्रकाशित.
प्रतिष्ठित पत्रिका अहा ! जिंदगी में मेरा एक पत्र प्रकाशित.
"ह्रदय तारों का स्पंदन " प्रकाशित -जिसमे ५ प्रेम कवितायें हमारी हैं.
"खामोश खामोश और हम " में मेरी रचनाएँ.
रश्मि प्रभा जी द्वारा सम्पादित पुस्तक "शब्दों के अरण्य" में मेरी एक रचना.
मेरा ब्लॉग my dreams 'n' expression याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन
गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012
परिचय - शशि पुरवार
शशि पुरवार
जन्म तिथि ---- २२ जून १९७३
जन्म स्थान --- इंदौर ( म. प्र.)
शिक्षा ---- स्नातक उपाधि ---- ,बी. एस सी ( विज्ञानं )
स्नातकोत्तर उपाधि - एम . ए ( राजनीती शास्त्र )
(देविअहिल्या विश्विधालय ,इंदौर ) हानर्स डिप्लोमा इन कंप्यूटर साफ्टवेयर ( तीन साल का )
कार्य अनुभव --- मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में सफलता पुर्वक कार्य किया.
रचनात्मकता और कार्यशीलता ही पहचान है
भाषा ज्ञान ---- हिंदी ,अंग्रेजी , मराठी .
पारिवारिक परिचय ---
माता -- श्रीमती मंजुला गुप्ता ( एम ए , बीएड . हिंदी )
पिता --- श्री महेश गुप्ता ( बी एस सी , बी कॉम , एम कॉम ( वाणिज्य ) )
प्रकाशन ------ कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओ में रचनाओ ,लेख , कविता का का प्रकाशन .लोकमत समाचार , नारी जाग्रति पत्रिका , सरिता एवं कईरास्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशन होता रहता है .
अंतर्जाल पर कई पत्रिकाओ में रचनाओ प्रकाशन होता रहता है .
लेखन विधाए व पहचान -------- कहानी , कविता , काव्य की अलग अलग विधाए और लेखों के माध्यम से जीवन के बिभिन्न रंगों को उकेरना पसंद है .जीवन के हर रंगों का अनुभव लेना और शब्दों में ढालना पसंद है . नयी विधाओ को सिखने का प्रयास और जीवन भर विद्यार्थी रहना ही पसंद है .कविता दिल व आत्मा से निकली हुई आवाज होती है ,एवं शशि का अर्थ है चाँद तो चाँद की तरह शीतलता बिखेरने का नाम है जिंदगी .
मुंबई में मंच पर रचना का पाठ भी सफलता पूर्वक किया .और विविध गुण दर्शन की प्रतियोगिता में पुरस्कृत ,क्रियाशीलता ही मेरी पहचान है .
संपर्क ---- मो -- 09420519803
email - shashipurwar@gmail.com
शनिवार, 29 सितंबर 2012
परिचय - महेश्वरी कनेरी
बुधवार, 26 सितंबर 2012
परिचय - वंदना गुप्ता
सोमवार, 17 सितंबर 2012
परिचय-ऋता शेखर मधु
मेरा परिचय
रश्मिप्रभा दी ने कहा- अपना परिचय भेजो
पर क्या लिखूँ...मुझमें कुछ भी खास नहीं
रश्मि दी ने कहा-
‘तुम संवेदनशील हो, यह परिचय खास है’
अब कुछ न कुछ तो लिखना ही था
एक कोशिश अपना परिचय देने की...
कौन हूँ मैं
ब्रह्म मुहुर्त में
कौंधा एक सवाल
कौन हूँ मैं ?
क्या परिचय है मेरा ?
सिर्फ एक नाम
या और भी बहुत-कुछ
वह, जो अतीत में थी
या जो अभी हूँ
या जो भविष्य में होऊँगी
यादों के झरोखों से
झाँककर जो देखा
एक खिलखिलाती चुलबुली
नन्ही सी लड़की
अपने भाई-बहन के साथ
बागों में तितलियों के पीछे भागती
दादा-दादी की लाडली
चाचा-बूआ की प्यारी
मम्मी-पापा की आँखों का तारा
विद्यालय में
शिक्षकों के लिए
एक होनहार विद्यार्थी,
इस तरह से बचपन जीती हुई
कब और क्यूँ
विदाई की बातें होने लगीं
इनका जवाब तलाशती
लाल जोड़े में
ससुराल की देहरी के अन्दर
मेरे किरदार बदल गए
बहू, पत्नी,
दो प्यारे-प्यारे बच्चों की माँ
मेरे अपने पल
कब इनके हो गए
पता ही नहीं चला
मन की इच्छाएँ
कर्तव्यों के ताले में
बन्द हो गए
समय बीता
धीरे-धीरे मेरे पल
मुझे वापस मिलने लगे
फुरसत में देखा
तहायी हुई इच्छाएँ वहीं पड़ी थीं
कुछ लिखने की इच्छा
अपने विचार शेयर करने की इच्छा
फिर देर नहीं किया
माँ सरस्वती की कृपा से
अपनी लेखनी के साथ
मैं, ऋता शेखर ‘मधु’
आपके सामने हूँ
जब कलम उठाया तो
सबसे पहले जो लिखा
‘मेरा उद्गार’
जीवन की आपाधापी में
जीवन के संघर्ष में
रिश्तों के तानोंबानों में
ऐसी उलझी मैं,
फुर्सत न मिली सोचने की
हूँ मैं भी एक ‘मैं’|
कुछ पल मिले बैठने को
लगा कहाँ हूँ मैं
दुनिया की इस भीड़ में
कहीं तो हूँ ‘मैं’
मन में था विचारों का रेला
बहने को बेताब हुआ|
लेखनी आ गई हाथों में
कागज़ से उसका मिलाप हुआ|
उभर आए अक्षर के मोती
पिरोने का संतोष हआ|
पसन्द आए अगर ये माला
समझूँगी जीवन धन्य हुआ|
*---*---*---*---*---*---*---*
इसके बाद कुछ कविताएँ लिखीं| कुछ सार्थक लिख भी पा रही हूँ या नहीं, विश्वास डावाँडोल हो गया| छोटे भाई के समान एक करीबी लेखक एवं पत्रकार मित्र को कविताएँ पढ़ने के लिए भेजा| मेरी कविताओं के लिए जो कुछ भी उन्होंने लिखा वह उत्साहित कर गई मुझे| आप भी पढ़िए---
कविताएँ आपकी
उतर जाती हैं
मन की गहराइयों में
कविताएँ आपकी|
शब्दों में अर्थ है
पंक्तियों में भाव
रस हैं, छंद हैं
लय ही स्वभाव|
अलंकृत हो मचलती हैं
कविताएँ आपकी||
यथार्थ के धरातल की
आवरण बनी कल्पना
जीवन की कड़वाहट में
होता सच है सपना|
सपनों में इतराती हैं
कविताएँ आपकी||
हर्ष बनी कविता
विषाद बनी कविता
रच-बस मन में
स्वभाव बनी कविता|
हंस कर हंसाती हैं
कविताएँ आपकी||
गाती हैं, गुनगुनाती हैं
बिन कहे कह जाती हैं
खुश्बू बन फूलों में
उतर-बस जाती हैं|
कली-कचनार हैं
कविताएँ आपकी||
नदियों में नीर बन
करती हैं कलरव
नाविक का नाव बन
मचाती हैं हलचल|
लहरों पर इठलाती हैं
कविताएँ आपकी||
कविता है ऋता की
ऋता बनी कविता
ओर है, अंत भी
अनन्त है कविता|
आंगन की तुलसी हैं
कविताएँ आपकी||
भाव करे मह-मह
छंद करे कलरव
रस की सरिता में
अलंकार हैं अभिनव|
जीवन श्रृंगार की
कविताएँ आपकी||
ऋता शेखर 'मधु' को ससम्मान-
डॉ लक्ष्मीकांत सजल
शिक्षा प्रतिनिधि
हिन्दी दैनिक ‘आज’
पोती, बेटी, बहन, भतीजी, बहू, पत्नी, माँ, मासी, बूआ, मामी, चाची,सहेली का किरदार निभाने के बाद भविष्य में कुछ नए किरदार निभाने हैं...सासू माँ, नानी, दादीः)
और वानप्रस्थ तक पहुँची तो मोक्ष की ओर टकटकी लगाए एक अशक्त वृद्धा का किरदार!!
सर्टिफिकेट के अनुसार मेरा परिचय---
नाम – रीता प्रसाद उर्फ ऋता शेखर ‘मधु’
जन्म – ३ जुलाई, पटना में
शिक्षा – एम. एस. सी.( वनस्पति शास्त्र), बी. एड.
पटना विश्वविद्यालय से
संप्रति – शिक्षिका
पापा का नाम- स्व० चन्द्रिका प्रसाद, सचिवालय में कार्यरत थे|
सरलता, निश्छलता, निष्कपटता – उनके इन गुणों को अनजाने ही हम भाई-बहनों ने आत्मसात् कर लिया था|
माँ का नाम – श्रीमती रंजना प्रसाद, सरकारी हाई स्कूल में वरीय शिक्षिका थीं|
कर्मठता और सहनशीलता उनसे सीखा|
विधाएँ, जिनमें मैं लिखती हूँ – कविता, लघुकथा, कहानी, आलेख, बाल कविता, छंद
जापानी छंद-हाइकु, ताँका, चोका, माहिया
हिन्दी छंद – चौपाई, दोहा, कुण्डलिया, हरिगीतिका, अनुष्टुप, घनाक्षरी, रोला
ग़ज़ल भी लिखने की कोशिश करती हूँ|
मेरे दो ब्लॉग्स – जून २०११ को मेरे सुपुत्र ने ब्लॉग बनाया| तब से नियमित रूप से रचनाएँ प्रकाशित करने की कोशिश करती हूँ|
१) मधुर गुंजन – http://madhurgunjan.blogspot.
२) हिन्दी हाइगा – http://hindihaiga.blogspot.in/
मेरा शौक - चित्रकारी
प्रिंट प्रकाशन –
भाव-कलश – २९ कवियों का ताँका संग्रह, सम्पादकद्वय - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’जी
एवं डॉ भावना कुँअर जी
खामोश, खामोशी और हम – रश्मिप्रभा जी द्वारा संपादित साझा काव्य-संग्रह
शब्दों के अरण्य में - रश्मिप्रभा जी द्वारा संपादित साझा काव्य-संग्रह
उदंती – मासिक पत्रिका में मेरी कविता(मई)
संचयन – २०११ के १०० लघुकथाकारों में मेरी भी तीन रचनाएँ ,
सम्पादक – डॉ कमल चोपड़ा जी
समीक्षा – दिलबाग विर्क जी के हाइकु-संग्रह ’माला के मोती’ में मेरी समीक्षा
कुछ और भी –
खुद को शांतचित पाती हूँ तब
जब सर पर पल्लू लिए
हाथों में अर्ध्य का जल ले
तुलसी-चौरा की परिक्रमा करती
सबकी भलाई के लिए प्रार्थना करती हूँ|
दूसरी संतुष्टि
‘ऋता मैडम’ बनी
अपने विद्यालय में
बच्चों के साथ
अपना बचपन जीती हूँ|
तीसरी संतुष्टि ब्लॉग पर
अपनी लिखती
सबकी पढ़ती
नई-नई बातें सीखती हूँ|
झूठ से सख़्त नफ़रत करती हूँ|
कुछ ऐसा लिखना चाहती हूँ जो
समाज और देश के हित में हो|